नमस्ते दोस्तों आज मे फिर से आपके लिए एक जीवनी लेकर आया हूं। यह एक तैमूरी वंश का बादशाह था। यह मुगल वंश का तीसरा शासक था। इनको लोग अकबर-ए-आज़म शहंशाह भी कहा जाता था तो चलिए शुरू से शुरू करते है। Akbar biography in hindi
सामन्य जानकारी (General information)
जन्म तारीख:- | 15 अक्टूबर 1542 |
जन्म स्थान:- | उमरकोट (पाकिस्तान) |
पूरा नाम:- | जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर |
पिता का नाम:- | हुमायूं |
माता का नाम:- | हमिदा बानो बेगम |
राजघराना:- | मुगल |
अकबर की पत्नियां:- | रुकय्या सुल्तान,सलीमा सुल्तान,जोधा,बीबी दौलत शाद,क़सीमा बानु,भक्करी बेगम और गौहर उन निस्सा |
अकबर की संताने:- | जहांगीर के अलावा 5 पुत्र और 7 पुत्रिया |
राज्याभिषेक:- | 14 फरवरी 1556 गुरदासपुर |
शासनकाल:- | 27 जनवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605 |
प्रमुख लड़ाइयाँ:- | पानीपत और हल्दीघाटी |
राजधानी:- | फतेहपुर सिकरी आगरा |
पूर्वाधिकारी:- | हुमायूं |
उत्तराधिकारी:- | जहांगीर |
मृत्यु:- | 27 अक्टूबर 1605 |
मृत्यु स्थान:- | फतेहपुर सिकरी आगरा |
अकबर का मकबरा:- | सिकन्दरा,आगरा |
अकबर का प्रारंभिक जीवन

अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को अमरकोट महल में हुआ था जो राणा वीरसाल का था। अकबर मुगल वंशक थे उनके पिता हुमायूं थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद महान अकबर ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही उत्तराधिकारी बन गए। अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 में बेरम खान की देखरेख में पंजाब के गुरदासपुर जिले मे कालानौर नामक स्थान पर मिर्जा अबुल खान द्वारा किया गया था।
जब अकबर शासक बने थे तब ईस्वी 1556 से लेकर 1560 तक अकबर बेेहरम खान के संरक्षण में बड़े हुए। अकबर के शासक बनने के बाद उनके जीवन का पहला संकट मुहम्मद आदिल शाह सुर ने किया था। अकबर ने बेहरम खान को अपने दरबार में वजीर की उपाधि दी थी। बेहरम खान को खान-ए-खाना से नवाजा गया। बेहरम खान शिया सम्प्रदाय के फरस संबंधित थे अकबर की प्रारंभिक जीवन मे बेहरम खान का बडा हाथ है उन्हीं के नेतृत्व में अकबर को राजपाठ का अध्याय हुआ। अकबर तलवार बाजी और शिकार करने में पारंगत थे लेकिन उनको बचपन से ही पढ़ना लिखना नहीं आता था वह बचपन से ही अशिक्षित थे।
राजपाठ सम्भाल ने के बाद 5 नवंबर 1556 को पानीपत की दूसरी लड़ाई सम्राट अकबर और हेमू के बिछ में हुई थी जिनको हेम चंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है। यह लड़ाई में अकबर ने भाग नहीं लिया था क्योंकि उनकी उम्र तब 13 साल की थी और उनको युद्ध करने की अनुमति नहीं दी थी बेरम खान ने। इसकी बजाय बेरम खान ने अकबर को 5000 सैना की टुकड़ी दी थी जो युद्ध में अच्छी तरह से प्रशिक्षित और वफादार थी। साथ मे एक नायक भी था यह सब युद्ध भूमि से थोड़े दूर सुरक्षित स्थान पर तैनात थे। अकबर युद्ध के मैदान से 5 कोस दूर खड़े थे।
यह युद्ध में मुगलों का सैन्य बल 10,000 घुड़सवारो का था जिसमें से 5000 सैनिक अनुभवी थे जो हेमू के अग्रिम सेना से लड़ने के लिए एक दम तैयार थे। हेमू ने अपनी सेना का नेतृत्व खुद किया था उसके पास 30,000 सैनिक का सैन्य बल था जिसमें सुप्रशिक्षित राजपूत अफ़ग़ान और 1500 हाथियों और उत्कृष्ट तोपखिने थे। इसी के साथ इन दोनों टुकड़ी के बिछ घमासान युद्ध शुरू हो गया।
हेमू की सैना अकबर की सैना पर भारी पड़ रहीं थीं और हेमू जीत की और आगे बढ रहे थे और अचानक मुगलों की सैना में से एक तीर आया जो सुर करते हेमू की आंख में लग गया और हेमू बेहोश हो गए। यही अकबर की जीत का कारण बन गई क्युकी हेमू को अपनी जगह पर स्थित ना होने के कारण हेमू की सैना में खलबली मच गई और इसी ब्रह्म के कारण हेमू युद्ध हार गया। इसी तरह अकबर ने अपनी पहली लड़ाई जीत ली।
अकबर के दरबार के नवरत्नों
राजा बीरबल | राजा बीरबल बहुत चतुर थे उनका असली नाम महेशदास था। अकबर ने ही महेशदास का नाम बीरबल रखा था। |
मियां तानसेन | यह अकबर के दरबार के सबसे प्रमुख संगीतकार थे इनका असली नाम तन्ना मिश्रा था यह स्वामी हरिदास के शिष्य थे। |
अबुल फजल | अबुल फजल ही अकबरनामा और आईने अकबरी के रचियाता है। |
फैजी | यह अकबर के दरबार में कवि थे और ये अबुल फजल के भाई थे। |
राजा मान सिंह | राजा मान सिंह अकबर के ससुर राजा भारमल के पौत्र थे और अकबर की सैना के सेनापति भी थे। |
राजा टोडर मल | राजा टोडर मल अकबर के राज्य के वित्तमंत्री (Finance minister) थे ये समस्त राज्य के सुधार प्रणाली के जिम्मेदार थे। |
मुल्ला दो प्याजा | यह अकबर के सलाहकारक (adviser) थे जो अकबर को सलाह देते थे। |
फकीर अज़ियोद्दीन | अज़ियोद्दीन एक सूफ़ी फकीर है जो अकबर के प्रमुख सलाहकार थे। |
अब्दुल रहीम | अब्दुल रहीम अकबर के शिक्षक और मुगल सेना के विश्वसनीय जनरल बेरम खान के पुत्र थे। साथ में अब्दुल रहीम अपने दोहों और ग़ज़ल के लिए मशहूर था। |
अकबर ने बेरम खान की मदद से पूरे भारत देश मे अपना राज्य विस्तार बड़ा लिया था। अकबर की ताकतवर फ़ौज राजनैतिक सांस्कृतिक तथा आर्थिक वृद्धि के कारण ही अकबर भारत की प्राचीन नदी गोदावरी के उत्तरी भाग तक कब्जा कर पाया था। इसके अलावा अकबर शातिर भी था राज्यों जितने के बाद वो उस राजा से या तो संधि कर लेता था या फिर उनकी बेटी के साथ शादी करके रिश्ते बना लेता था। अकबर अपने दरबार में हिंदू राजपूतों को बड़े बड़े स्थानो पर बिठा रखा था।
अकबर के दरबार में अलग-अलग संस्कृति के लोग निवास करते थे और सब खुश भी थे क्योंकि अकबर उनको तरह-तरह के पद पर बिठाता और उनका सम्मान भी कर्ता था। अकबर को पढ़ना लिखना नहीं आता था फिर भी उसको साहित्य बहुत पसंद था इसलिए अकबर ने अपने दरबार में एक पुस्तकालय शुरू किया था जिसमें 24,000 से भी ज्यादा पुस्तकें संग्रहित थी जिसमें अधिक पुस्तकें संस्कृत,उर्दू,पर्शियन,ग्रीक,अरबी,कश्मीरी,लैटिन आदि पुस्तके थी। जिसका पठन करने के लिए कई विद्वान शास्त्री,महात्मा,कलाकार,अनुवादक,लेखक आते थे।
अकबर ने बनाया नया धर्म
अकबर के दरबार में हिंदू और मुश्किल साथ में रहते थे इसलिए अकबर ने हिंदू और इस्लाम लोगों की धार्मिक एकता के लिए एक नए धर्म की स्थापना की थी जिसका नाम दिन-ए-इलाही था। यह धर्म हिंदू,मुस्लिम और थोड़ा सा हिस्सा पारसी और ख्रिसचन से बना हुआ था। यह धर्म बहुत सहनशील था। इस धर्म में मात्र 1 भगवान की ही पूजा की जाती थी और इस धर्म में किसी जानवर को मारना पाप माना जाता था। इस धर्म का उद्देश्य सिर्फ शांति था। इस धर्म में ना ही कोई रीति रिवाज थे और ना ही कोई मंदिर और पुजारी थे।
अकबर के दरबार में बीरबल समेत कई दरबारी इस धर्म का पालन करते थे। यह लोग अकबर के पैगम्बर मानते थे। अकबर के शासनकाल को भारत के इतिहास मे बहुत महत्व दिया गया है और अकबर के शासनकाल में मुगल का साम्राज्य अकबर की नीतियों से तीन गुना ज्यादा बढ़ गया था। मध्यकालीन समय मे अकबर एक एसे मुस्लिम राजा है जिन्होंने हिंदू मुस्लिम की एकता को समझकर एक नया धर्म बनाया था और अखंड भारत का ख्वाब देखा था। इसीलिए अकबर को भारत के उदार शासकों मे गिना जाता है।
जोधाबाई और महान अकबर का इतिहास
अकबर की जीवन की बात हो तो जोधाबाई का नाम सबको पहले याद आता है। जोधाबाई आमेर के राजा भारमल की बेटी थी। जोधाबाई हिंदू राजकुमारी थी लेकिन राजनीति के कारण उनको एक मुस्लिम राजा अकबर से विवाह करना पड़ा था। अकबर एसे शासक थे जिन्होंने राजपूत कन्या के साथ विवाह कर के कई हिंदू राजा को अपनी उदारता का परिचय दिया था। आज विश्व में जोधा अकबर की प्रेम कहानी बहुत प्रसिद्ध है।
अकबर एसा राजा था जिसने दूसरे धर्मों का भी सम्मान किया था और जोधा से विवाह भी किया था और अपने दरबार में कई हिंदू को बड़े पदों पर बिठाया था। अकबर एसा राजा था जिन्होंने हिन्दू के लिए साम्प्रदायिक कर माफ किया था एसा करने वाले वो पहले सम्राट थे। जोधा और अकबर का एक बेटा भी हुआ था जिसका नाम सलीम था। सलीम के जन्म बाद जोधा ने हिंदू धर्म ही रखा पर अकबर ने उसके बेटे का मुस्लिम धर्म रखा और आगे जाकर मुगल साम्राज्य का राजा भी वो बना जिसका नाम जहाँगीर रखा गया था और उसको मरियम उज ज़मानी के नाम से अकबर ने नवाजा था जो जोधाबाई का ही नाम था।
अकबर और महाराणा प्रताप का युद्ध
अकबर की जीवनी की बात हो रहीं हो और महाराणा प्रताप का नाम न आए एसा हो सकता है? अकबर को भारत में मुगल परचम लहराना था लेकिन उनके रास्ते मे महाराणा प्रताप बाधा बन रहे थे। अकबर ने उनको हाथ मिला लेने का प्रस्ताव भेजा लेकिन महाराणा प्रताप ने उसको ठुकरा दिया क्योंकि महाराणा प्रताप अपनी भूमि से बहुत प्यार करते थे और आखिरी साँस तक मुगलों की अधीनता ना स्वीकार ने का प्रण लिया था।
अकबर ने महाराणा प्रताप से बहुत लड़ाई करी जिस्मे हल्दीघाटी की लड़ाई इतिहास के पन्नों में अमर हो गई और हम आज भी उस लड़ाई की कहानी सुनते है। यह लड़ाई महाभारत से कम नहीं थी यह लड़ाई मात्र 4 घंटे की थी लेकिन बहुत तबाही मच गई थी। यह लड़ाई 18,जून 1556 को महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की और से आमेर के राजा मानसिंह प्रथम इस का नेतृत्व कर रहे थे। महाराणा के साथ 22,000 राजपूत की सेना थी और मानसिंह के पास 80,000 की मुगल सेना थी। इस लड़ाई में कोन जीता आज तक एक रहस्य है और चर्चा का विषय भी कोई कहता है अकबर जीता कोई कहता है अकबर जीता और कोई कहते है ना ही अकबर जीता था और ना ही महाराणा प्रताप इस युद्ध में हारे थे।
अकबर के बारे मे कुछ महत्वपूर्ण बाते
जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर अपने राज्य की प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। प्रजा की परेशानी को जल्द से जल्द ठीक करने का हमेशा प्रयास करते थे। इसलिए उनकी प्रजा के लिए अकबर भगवान से कम नहीं था। अकबर की प्रजा भी अकबर से बहुत संतुष्ट थी।
अकबर को इसलिए भी महान कहा जाता है क्योंकि उसने मुस्लिम शासक होने के बावजूद हिंदू प्रजा के दिलों में भी राज करते थे। अकबर ने हिंदू पर लगने वाले जजीया कर और यात्री कर को हटा दिया था।

मुगल शासक अकबर ने अपने जीवन काल में भगवान राम और माता सीता के नाम पर चांदी के सिक्के बनवाये थे जिसमें सिक्के के पीछे फारसी भाषा मे राम-सिया लिखा हुआ है।
अपने शासन के अंतिम दौर मे मुगल राजा अकबर ने 1604 और 1605 में कई एसे सिक्के बनाए थे जिसमें हिंदू के प्रतीक चिन्ह साथ में थे।
इतिहासकारों का यह मानना है कि अकबर ने चांदी के यह सिक्के बीरबल और राजा टोडरमल की सलाह पर बनवाये थे।
अकबर के जीवन का अंतिम दौर
अकबर के जीवन के आखरी दिन बहुत निराशा से गुजर रहे थे और अकबर बहुत दुखी भी रहा कर्ता था क्योंकि उनके बेटे दिन रात मदिरा का सेवन करते थे। अधिक शराब पीने के कारण अकबर के दो संतान जिनका नाम मुराद और दानीयाल था वो मर गए थे और उनका तीसरा बेटा सलीम उर्फ जहांगीर भी सिंहासन पर बैठने की लालच में दिन रात शराब पी रहा था।
बहुत दिनों तक सिंहासन की लालसा में जहांगीर थक गया था। जिस समय अकबर दक्षिणी भारत मे असिरगढ़ इलाके में डेरा लगाए रखा था। इसी समय का फायदा उठाते हुए अकबर के पुत्र जहांगीर ने इलाहबाद को स्वतंत्र करने की घोषणा जाहिर कर दी। यह समाचार जब अकबर को पता चला तो वो अपने बेटे से बहुत दुखी हुआ और तुरंत उसके पास पहुंचने के लिए डेरा छोडकर रवाना हो गया। अकबर के इस दुःख को और बढ़ाने के लिए जहांगीर ने अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल का आछेर के राजा वीरसिंह बुन्देला के हाथो उनका कत्ल करा दिया। इस घटना से अकबर बहुत नाखुश हुआ और जहांगीर से अत्यंत नफरत करने लगा। लेकिन बेगम सलीमा के मनाने पर अकबर ने जहांगीर के सारे अपराधों को माफ कर दिया और उसको मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
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महान अकबर की मृत्यु
अकबर के सब पुराने राग रंग करने वाले लोग पहले ही मर गए थे। इसलिए उनके अंतिम दिन बहुत दुख से गुजर रहे थे। साल 1605 में अकबर को एक रोग हो गया था जिसका नाम सग्रहणी था। अब अकबर की मौत की आखिरी रात आ गई थी। कोई भी दवा दारू काम नहीं आ रहे थे हालत बहुत गंभीर हो गई थी। अकबर के पुराने वेध नारायण मिश्रा और हकीम मर चुके थे। अकबर के यार दोस्त भी मर चुके थे। 27 अक्टूबर 1605 को अकबर की 63 वर्ष की आयु में फतेहपुर सिकरी में निधन हो गया। अकबर की कबर सिकन्दरा,आगरा में दफ्न की गई थी।
अकबर ने 1582 में किस धर्म की स्थापना की थी?
अकबर ने 1582 में हिंदू और मुस्लिम लोगों की दूरियां दूर करने के लिए दीन-ए-इलाही रखा था। इस धर्म में सभी धर्मों की अच्छी बाते शामिल की गई थी। इस धर्म की खासियत यह थी कि इसमें कोई भी जात के नाही कोई रीति रिवाज थे और नाही कोई मंदिर और उसका पुजारी।
अकबर के नवरत्नों के नाम क्या थे?
अकबर के दरबार में अकबर के सलाहकार और मनोरंजन के लिए मशहूर व्यक्तिया थी। जिसको अकबर के नवरत्नों से जाना जाता है। उसके नाम राजा बीरबल,मियां तानसेन,अबुल फजल, फैजी,राजा मानसिंह,राजा टोडरमल,मुल्ला दो प्याजा,फकीर अज़ियोद्दीन,अब्दुल रहीम यह सारे अकबर के दरबार के खास व्यक्ती थे।
अकबर की कितनी पत्नियां थी?
अकबर की टोटल 7 पत्नियां थी जो अकबर के जीवन मे बहुत खास थी। अकबर की सबसे पहली पत्नी का नाम रुकैक्या सुल्तान बेगम है।
अकबर महान कोन था?
अकबर मुगल वंश का 3 उत्तराधिकारी था। उसने अपने जीवन मे सभी धर्मों का सन्मान और आदर कर्ता था और हिंदू पर लगने वाले कर (TAX) माफ़ कर दिए थे इसलिए उनकी प्रजा ने खुश होकर अकबर को महान अकबर नाम से नवाजा था।
अकबर का जन्म और मृत्यु कब हुई थी?
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 उमरकोट में हुआ था और अकबर की मृत्यु 63 वर्ष की उम्र में सग्रहणी रोग के कारण 27 अक्टूबर 1605 को फतेहपुर सिकरी में मृत्यु हो गई।
क्या अकबर ज्ञानी था?
हाँ,अकबर पढ़ा लिखा नहीं था अनपढ़ था लेकिन अकबर की स्मरण शक्ति बहुत तेज थी। अकबर को जो भी सिखाया जाता था वो याद कर लेता था और इसी वज़ह से वो बचपन से ही तलवार बाजी और शिकार करना सीख गया था इसलिए अकबर को ज्ञानी कहा जाता है।
हल्दीघाटी का युद्ध कोन जीता था।
हल्दीघाटी का युद्ध भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच 18 जून 1556 को हुआ था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप के पास 22,000 सैनिक थे और अकबर की और से राजा मानसिंह नेतृत्व कर रहे थे और उनके पास 80,000 की मुगल सैनानी थे। इस युद्ध का विजेता आज भी रहस्य है कहा जाता है। अकबर कभी जीता नहीं और महाराणा प्रताप कभी हारा नहीं
अकबर के माता पिता का नाम?
अकबर के पिता मुगल साम्राज्य के दूसरे शासक थे उनका नाम हुमायूं था और माता का नाम हमिदा बानो बेगम था।
अकबर का राज्याभिषेक कब हुआ था?
हुमायूं की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य पर उत्तराधिकारी के रूप मे 13 साल की उम्र में अकबर का 14 फरवरी 1556 को गुरदासपुर में बेरम खान के संरक्षण में राज्याभिषेक हुआ था।
उम्मीद है आपको Akbar biography in hindi में पढ़ कर आपको बहुत मजा आया होगा।
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