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Chanakya biography in Hindi – चाणक्य जीवनी हिंदी में

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नमस्ते दोस्तों आज हम आपके लिए भारत को अखंड देश बनाए रखने वाले महान व्यक्ती chanakya biography in hindi लेकर आए है। चाणक्य को कई लोग कौटिल्य,विष्णु गुप्त और वात्सायन के नाम से भी जानते है। उनका पूरा जीवन कठिन और रहस्यो से भरा पडा था तो आइये जानते है चाणक्य के बारे मे कि उनका जीवन मे क्या क्या हुआ था।

चाणक्य परिचय (Chanakya parichay)

चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे और उनके आगे मंत्री भी बने दरअसल चाणक्य को देश मे होने वाले हमले को रोकना था। इसलिए वो भारत को अखंड देश बनाना चाहते थे इसलिए चाणक्य ने उस समय मे नंदवंश राजा का राज्य था तो चाणक्य ने उनको यह प्रस्ताव दिया था। नंदवंश राजा के नाम पे ढबा था वह अपने राज्य में कर (TAX) वसूल कर खुद एश और आराम करता था। chanakya biography in hindi

यह देख के चाणक्य ने उनसे कहा कि आपको ये सारा धन जनता की भलाई में लगाना चाहिए यही आपका धर्म है। यह सुनकर नंदवंश हो गया और चाणक्य धक्का दे दिया और चाणक्य जमीन पर नीचे गिर गए और उनके बाल की चोटी खुल गई तब चाणक्य ने यह संकल्प ले लिया जब तक वे नंदवंश का साम्राज्य से हटा नहीं देंगे तब तक वे अपने बालो की चोटी एसे ही खुली रखेंगे।

चाणक्य का वचन (Chanakya ki vachan)

चाणक्य कभी राजा या राजगद्दी पर नहीं बैठेंगे एसा उनका अपनी माँ से वचन था। जब चाणक्य छोटे थे तब उनकी माता ने एक बार चाणक्य का योग देखने के लिए पंडित को कहा था तब वह पंडित बोले थे कि आपके बेटे के नसीब में राजयोग है।

तब चाणक्य की माता चिंतित हो गई और पंडित से पूछा कि सच मे मेरे बेटे के नसीब में राजयोग लिखा है।तो पंडित जी ने सिर हिलाते हुए हामी भरी थी। परंतु चाणक्य की माता को चिंता थी अगर चाणक्य राजा बन गया तो वो अपनी माता को भूल जाएगा। तब पंडित ने कहा अगर यकीन ना हो तो आप अपने बेटे के दांत पर सांप का निशान देख लो। जेसे ही उसकी माँ ने चाणक्य के मुँह में देखा तो उनको सांप का निशान मिला और वो रोने लगे। chanakya biography in hindi

तब चाणक्य ने अपनी मां से पूछा आप रो क्यूँ रहीं हो तो उनकी माता ने कहा तुम्हारे दांत में सांप का निशान है और तुम्हारे भविष्य ने राजयोग लिखा और तुम मुझे भूल जाओगे। तब “चाणक्य ने नीचे से एक पत्थर लिया और अपने उसी दांत को पत्थर से मारकर तोड दिया और कहा में वचन लेता हूँ कि मैं कभी भी राजा नहीं बनूँगा”

चन्द्रगुप्त मौर्य को बनाया राजा (Chandragupta Maurya ko banaya raja)

चाणक्य अपने माँ के वचन के कारण राजा नहीं बन सकते थे और अपना संकल्प पूरा करने के लिए की मगध के राजा नंदवंश को केसे पराजित करे और प्रजा को मुक्ति दिलाए। तब उनकी मुलाकात चंदू से हुई। जो उस वक़्त अपने मित्रों और सहेली के साथ राजा और प्रजा का खेल, खेल रहे थे और चंदू राजा बन के अपनी प्रजा की समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान कर रहे थे। यह देखकर चाणक्य अंदर से ही चंदू से प्रभावित हो गए।

इसके बाद चाणक्य ने बिना विलंब किए चंदू की जानकारी हासिल कर ली। चाणक्य को चंदू में भावी राजा की छबि दिख रहीं थीं और उसको अपने साथ तक्षशिला ले गए। वंहा उन्होंने चंदू को 8 साल तक वेदों,शास्त्रों,युद्ध रणनीति और राजनीति की शिक्षा देकर उनको पारंगत कर दिया। वहीं चंदू आगे चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए।

उन्हीं दिनों जब विश्व विजय करने के हेतु से निकले सम्राट सिकंदर जब भारत की तरफ बढ रहे थे। सिकंदर का साथ गांधार के राजा आम्भी दे रहे थे ताकि वो अपने शत्रु राजा पुरु को पराजित कर सके और उनसे बदला ले सके। जेसे ही यह बात चाणक्य को पता चली वो तुरंत गांधार के राजा आम्भी से मिलने निकल गए और उनसे सारी बातचीत की और फिर चाणक्य ने उनको खूब समझाया पर वो सिकंदर का साथ देने में कटी बंध रहे।

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चाणक्य ने अपना संकल्प पूरा किया(Chanakya ne apna sankalp pura kiya)

जब चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को शिक्षा दे दी तो उन्होंने 5 हजार सैनिकों और घोड़े,हाथी के साथ मगध के राजा नंदवंश पर हमला कर दिया पर वो नंदवंश की सैना के सामने हार गए और अपनी जान बचाने के लिए चन्द्रगुप्त और चाणक्य भाग गए और एक घर के पीछे छुप गए।

उस घर मे एक लडका था और उनकी माता ने उनको खाने के लिए गरमा गर्म खिचड़ी दी यह सब चाणक्य देख रहे थे। जेसे ही उस बच्चे ने खिचड़ी के बीच में हाथ डाला तो उसका हाथ जल गया और वो रोने लगा तब उस लड़के की माता ने कहा तू चाणक्य जितना मुर्ख है सीधा बीच मे हाथ डाल रहा है पहले खिचड़ी को बाहर से ठंडा करो और फिर खाओ। chanakya biography in hindi

यह सुनकर चाणक्य को अपनी भूल का एहसास हुआ और वो तुरंत उस माता के चरणों में गिर गया और कहा आज आपने मुझे नया पाठ पढ़ाया है। फिर चाणक्य ने मगध की चारो और से जानकारी लेने लगा और चंद्रगुप्त को भी नंदवंश की सैना में डाल दिया ताकि वो अंदर की जानकारी ला सके।

फिर धीरे-धीरे उन्होंने छापामार की अभ्यास किया पहले उन्होंने सिर्फ बीच में हमला कर दिया था कोई भी अभ्यास के बिना अब वह पूरी शिक्षा देकर फिर से मगध पर हमला करते गए और उनका हिस्सा खाली करते गए और फिर उन्होंने नंदवंश पर हमला कर दिया और उसको पराजित कर दिया।

इस तरह चाणक्य का संकल्प पूरा हो गया और उन्होंने चन्द्रगुप्त को राजा बनाकर मौर्यवंश की स्थापना की और खुद चन्द्रगुप्त के मंत्री बनकर अखंड भारत बनाया। chanakya biography in hindi

चाणक्य ने अपने जीवन मे बहुत ग्रंथ भी लिखे है जैसे अर्थशास्त्र,राजनीति,समाजनीति और नारी के विषय मित्र-शत्रु जीवन व्यवहारिकता के विषय मे जो जो लिखा है वो आज भी अमर है और लोगों के लिए एक प्रेरणा है।

आशा करता हूं आपको Chanakya biography in hindi पढके मजा आया होगा और साथ में सीखने को भी मिला होगा।

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