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Chatrapati shivaji maharaj biography in hindi – छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी हिंदी में

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नमस्ते दोस्तों आज में आपको भारत के एक एसे राजा के बारे मे बताने वाला हूँ जिसको पढके आपको बहुत आनंद मिलेगा और इनके बारे मे जानने भी मिलेगा। वे आज भी अपनी युद्ध की रणनीति और प्रणाली के लिए प्रख्यात है जिन्होंने अकेले ही मुगल सल्तनत को ललकारा था। चलिए आगे बढते है Chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

सामान्य जानकारी (General Information) chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

जन्म तारीख:-19 फरवरी 1630
जन्म स्थान:-महाराष्ट्र, शिवनेरी किला
शुभ नाम:-शिवाजी भोंसले
पिता का नाम:-शाहजी भोंसले
माता का नाम:-जीजाबाई भोंसले
धर्म:-हिंदू,मराठा
शिवाजी की धर्मपत्नी:-साईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, सकवरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई
शिवाजी की संतानें:-संभाजी, राजाराम, सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक, राजकुमारबाई शिर्के
शिवाजी का उत्तराधिकारी:-संभाजी भोंसले
शासनकाल और स्थानसाल 1674-1680, रायगढ़ किला
मृत्यु:-3 अप्रेल 1680
chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज का शुरुआती जीवन

छत्रपति का जन्म शिवनेरी कीले में शाहजी भोंसले के परिवार में 19 फ़रवरी 1930 के दिन हुआ था। जब शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था तब तक मुगलों ने अपना साम्राज्य भारत मे स्थापित कर दिया था और मुहम्मद बाबर ने भी मुग़लों का साम्राज्य बडा दिया था।

शिवाजी महाराज का नाम उनकी माता जीजाबाई ने भगवान शिव के ऊपर रखा था, जिन्हें जीजाबाई बहुत मानती थी। शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले बीजापुर के सेनापति थे जो उस वक़्त डेक्कन के हाथो के नीचे हुआ करता था। शिवाजी महाराज को अपनी माँ से बहुत लगाव था और उनके सबसे करीब उनकी माता जीजाबाई थी। शिवाजी की माता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की थी जिससे शिवाजी महाराज भी धार्मिक स्वभाव के हो गए थे। शिवाजी ने अपने बचपन में रामायण और महाभारत जेसी पुस्तकों को ध्यानपूर्वक पढा है और शिवाजी ने कुछ भी पढ़ा है उनको अपने जीवन में अमल भी किया है।

शिवाजी महाराज ने अपने जीवन मैं हिन्दुत्व का बहुत ज्ञान प्राप्त किया था और हिन्दू समाज के लिए अपने जीवनकाल दरमियान उन्होंने बहुत कार्य हिन्दू हित मे किए थे। शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले ने दूसरा विवाह कर लिया और कर्नाटक चले गए। बेटे शिवाजी और उनकी धर्मपत्नी जीजाबाई को किले के देखरेख करने वाले दादो कोंडदेव जी के पास छोड गए। शिवाजी महाराज को हिन्दुत्व का ज्ञान दादोजी कोंडदेव से भी प्राप्त हुआ था साथ में कोंडदेव ने शिवाजी को सेना के बारे मे घुड़सवारी और राजनीति के बारे मे सिखाया था।

शिवाजी महाराज बचपन से ही बहुत बुद्धिमान, चतुर और साहसिक थे। उन्होंने ज्यादा शिक्षा प्राप्त नहीं की थी पर जितना भी उन्हें सिखाया जाता था वो उनको एक दम अच्छे से याद कर लेते थे। 12 वर्ष की आयु में शिवाजी महाराज बंगलौर में चले गए थे और वहीं पर उन्होंने माता जीजाबाई और भाई संभाजी से शिक्षा ग्रहण की और 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने साईंबाई के साथ विवाह कर लिया।

शिवाजी महाराज की अनोखी परिक्षा

शिवाजी महाराज को राज घराना छोडकर शिक्षा के लिए रामदास के गुरुकुल में भेज दिया गया था। वंहा उनकी कठिन से कठिन परीक्षा ली जाती थी जिसमें वह पास हो जाते थे जब उनकी शिक्षा खतम हो गई तो शिवाजी महाराज की माँ जीजाबाई उनको वापिस लेने के लिए गुरुकुल में आए। तब शिवाजी महाराज आशीर्वाद लेने के लिए गुरुजी की कुटिया (झोपड़ी) में आशीर्वाद लेने पहुंचे तब गुरुजी खटिये पर पडे थे। तब शिवाजी ने कहा मुझे आशीर्वाद दीजिए में जा रहा हूँ। गुरुजी ने कहा मेरे पेट में दर्द है और तुम जा रहे हो शिवा? तब शिवाजी महाराज ने कहा आदेश दीजिए में आपके लिए क्या करूँ गुरुजी।

गुरुजी ने कहा शिवा जाओ और सभी शिष्यों को एक साथ एकत्रित करो। शिवाजी महाराज ने बाहर सभी बच्चों को एकत्रित किया। जेसे ही सभी शिष्यों को पता चला कि गुरुजी के पेट में दर्द है तो सभी आश्चर्यचकित हो गए थे। गुरुजी बाहर आए और सब शिष्यों को देख रहे थे। तब सारे शिष्य उनसे पूछ रहे थे गुरुजी अगर आपके इलाज के लिए क्या चाहिए हम ले आयेंगे तब गुरुजी ने कहा मेरा दर्द सिर्फ एक चीज़ से ही जा सकता है लेकिन वह लाना बहुत कठिन है तब सारे शिष्यों ने कहा गुरुजी आप बताइए हम लेकर आयेंगे वो वस्तु। गुरुजी ने कहा शेरनी का दूध, यह सुनकर सभी शिष्यों को जेसे सांप सुंग गया हो वेसे चुप हो गए और अपना गर्दन जुका लिया।

तब शिवाजी आगे आये और कहा गुरुजी में आपके लिए शेरनी का दूध लेकर आऊंगा। तब गुरुजी ने कहा शिवा यह काम कर पाओगे? तब शिवाजी महाराज ने कहा जब तक आपका आशीर्वाद मेरे साथ है मे मुश्किल से भी मुश्किल काम कर सकता हूं। यह कहकर शिवाजी महाराज शेरनी का दूध लेने जंगल की और एक पात्र लेकर निकल पडे। तभी उनको जंगल में एक शेर का झुंड मिला जिसमें एक शेरनी भी थी और वो अपने बचो को दूध पीला रहीं थीं तो शिवाजी आगे बडे तभी उनपर एक शेर ने हमला किया लेकिन शिवाजी महाराज ने जट से शेर का जबड़ा अपने मजबूत हाथो से पकड़ लिया शेर ने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वो शिवाजी के सामने हिल भी नहीं पाया और डर के मारे भाग गया।

जब शेर की एसी हालत देखी तो शेरनी सहन गई थी। तभी शिवाजी महाराज शेरनी के पास आए लेकिन शेरनी ने विरोध नहीं किया और फिर शेरनी के पास दूध का पात्र रखा और पात्र भर कर वो गुरुकुल के लिए रवाना हो गए। शिवाजी महाराज गुरुकुल पोहचे और रामदास बाहर ही खड़े थे तब शिवाजी ने कहा लीजिए गुरुजी में शेरनी का दूध ले आया हूँ आप इसको पी लीजिए। तब गुरुजी ने कहा शिवू मुजे पेट दर्द नहीं है मे तुम्हारी आखरी बार परीक्षा ले रहा था। जब तुम जंगल में गए थे में तुमको एक वृक्ष के पीछे से देख रहा था। गुरुजी ने कहा मुझे अब कोई परेशानी नहीं है मराठा साम्राज्य के लिए तुम एक दम सही हो और तुम्हारे रहते मराठा को कोई नहीं गिरा सकता। तुम इस अनोखी परिक्षा में पास हुए हो। chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज की लड़ाइयाँ

शिवाजी महाराज ने अपने जीवन की पहली लड़ाई 15 वर्ष की आयु में तोरना के किले पर आक्रमण कर के उसको जीत लिया था। इसके बाद भी उन्होंने कई युद्ध किए और विजय भी हुए जिसमें कोंडाना और रायगढ़ के किले को जीत कर अपना ध्वज लहराया। शिवाजी का राज्य विस्तार बढ़ते देख बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के पिता शाहजी को अपने यहां बंदी बना लिया। अपने पिता को रिहा कराने के लिए शिवाजी और संभाजी ने कोंडाना किले को वापस कर दिया और अपने पिता को छुड़वा लिया। लेकिन वे अपनी रिहाई के बाद बहुत अस्वस्थ रहने लगे और 65 वर्ष के आसपास उनका स्वर्गवास हो गया।

Chatrapati shivaji maharaj biography in hindi
Chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

बीजापुर के सुल्तान ने साल 1659 को अफजल खान को 10 हजार लोगों की सेना दिया और हुकुम दिया शिवाजी राजे पर हमला कर के उसे जिंदा या फिर मरा हुआ ले आओ। कहते है कि शिवाजी के सामने अफजल खान की बड़ी सेना थी और अफजल भी शिवाजी से दो गुना शक्ति शाली माना जाता था। अफजल खान बेरहमी और निर्दयी व्यक्ती था। उसको पता था अगर वो मंदिर और लोगों को मारपीट करेगा तो शिवाजी खुद सामने आ जाएंगे। हुआ भी कुछ ऐसा जब अफजल खान बीजापुर से आ रहा था तो उसने प्रतापगढ़ के कई मंदिर को तोड़ दिया था और कई बेगुनाह लोगों को भी मार डाला।

तभी अचानक वंहा शिवाजी राजे ने छापामार युद्ध शुरू कर दिया। अफजल खान को पता चल गया था कि वो उसका मुकाबला नहीं कर सकता इसलिए उन्होंने युद्धविराम की घोषणा कर दी और शिवाजी से मुलाकात करने का प्रस्ताव भेज दिया और यह प्रस्ताव शिवाजी राजे ने कबूल कर लिया। दोनों खाना खा कर खड़े हुए अफजल खान कूटनीति करना चाहता था इसलिए शिवाजी के साथ गले मिलने के इरादे से चाकू मारना था लेकिन शिवाजी महाराज को कुछ नहीं हुआ उन्हें संका थी कि अफजल खान पीछे से वार करेगा जेसे ही शिवाजी को एहसास हुआ कि उस पर वार किया है तुरंत उन्होंने अपना खंजर निकाला और अफजल खान के गले में मार दिया। इस युद्ध से मराठा को और भी शस्त्रों मिल गए जिससे मराठा और भी मजबूत हो गए। chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

शिवाजी महाराज की शाइस्ता खान खान से लड़ाई

उसके बाद सुल्तान ने रूस्तम ज़मान और सिद्धी जौहर को शिवाजी महाराज को हराने के लिए भेजा लेकिन ये दोनों भी बुरी तरह नाकाम हो गए थे। अब बीजापुर के सुल्तान के पास कोई सक्षम योद्धा नहीं था सब योद्धा मारे जा चुके थे। इसलिए सुल्तान की सबसे बड़ी बेगम ने मुगल के छठे राजा औरंगजेब से शिवाजी को हराने के लिए मदद मांगी। यह प्रस्ताव औरंगजेब ने कबूल किया और शाइस्ता खान के साथ 1.5 लाख सैनिक की टुकड़ी को शिवाजी पर हमला करने के लिए भेजा।

सेना ने सबसे पहले पुणे पर कब्जा कर लिया और शाइस्ता खान ने शिवाजी महाराज के निवास स्थान लाल महल पर कब्जा कर लिया। जेसे ही यह सूचना शिवाजी राजे को प्राप्त हुई और तुरंत वो 400 सैनिकों के साथ पुणे निकल गए और बाराती बन अंदर चले गए। फिर रात को शिवाजी लाल महल में प्रवेश कर लिया जब शाइस्ता खान और उसकी सेना आराम कर रहीं थीं। उसी समय शिवाजी राजे की सेना ने मिलकर शाइस्ता खान और कुछ जागे हुए सिपाहियों पर हमला कर दिया। इस हमले में शाइस्ता खान भाग ने में सफल हो गया लेकिन उसके हाथ की 3 उंगली शिवाजी महाराज ने काट दी थी। chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

शिवाजी और मुगल की लड़ाई

शिवाजी जेसे जेसे आगे बढ़ते थे उनके दुश्मन भी बहुत बन गए थे उसमें सबसे बड़ा दुश्मन उनका मुगल बन गया था जो औरंगजेब के हाथ के नीचे था। शिवाजी ने 1657 से ही मुग़लों के खिलाफ लड़ाइयाँ शुरू कर दी थी और शाइस्ता खान को पराजित करने के बाद 1664 में शिवाजी महाराज ने सूरत पर हमला करके वंहा भी अपना मराठा का ध्वज लहराने में कामयाब रहे।

औरंगजेब ने हार नहीं मानी फिर उसने शिवाजी के खिलाफ अम्बर के राजा जय सिंह और दिलेर सिंह को युद्ध के लिए खडा कर दिया। जय सिंह और दिलेर सिंह ने मिलकर एक के बाद एक किले जीत लिए जो शिवाजी महाराज ने जीते थे। फिर पुरन्दरपुर में शिवाजी के साथ उनका युद्ध हुआ परंतु शिवाजी इस युद्ध में पराजित हो गए। इस हार के बाद शिवाजी महाराज को मुग़लों के साथ समझोता करना पड़ा और उनके जीते हुए 23 किले के बदले में मुगल का साथ दिया और बीजापुर के युद्ध दौरान शिवाजी मुगलों के साथ खडे रहे।

औरंगजेब ने संधि के बाद भी शिवाजी महाराज से बुरा व्यवहार किया और शिवाजी और उसके बेटे को 5 हजार सैनिक की निगरानी में बंदी बना लिया लेकिन शिवाजी महाराज इनको चकमा देकर कैद से भाग गए। अपने घर पहुंच ने के बाद शिवाजी महाराज ने फिर से मराठा साम्राज्य खड़ा कर दिया और मुगलों से खिलाफ बहुत सी जंग छेड़ दी। इसके बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने भी शिवाजी राजे को राजा मान लिया था। 1674 में शिवाजी एसे शासक बन गए जो हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार चलता है। chatrapati shivaji maharaj biography in hindi

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक और छत्रपति की उपाधि

शिवाजी महाराज ने हिन्दू राज्य की स्थापना साल 1674 में कर दी थी। इसके बाद उनको राज्याभिषेक करवाना था लेकिन वो कुर्मी जाती के थे लेकिन उस वक़्त सब इनको शूद्र ही मानते थे। इस वज़ह से ब्राम्हणों ने इनका राज्याभिषेक करने से इन्कार कर दिया था परंतु शिवाजी राजे ने कई बनारसी ब्राम्हणों को भी राज्याभिषेक में बुलवाया था पर वे भी नहीं आए थे। बाद मे शिवाजी ने उनको मना लिया और वे मान गए। फिर 6 जून 1674 में शिवाजी महाराज का रायगढ़ के किले में उनका राज्याभिषेक हुआ और उनको विर छत्रपति शिवाजी महाराज की उपाधि मिली।

सदियों बाद किसी राजा का राज्याभिषेक हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था शिवाजी महाराज एक योद्धा ही नहीं साथ में एक बुद्धिमान शासक भी थे। शिवाजी ने मराठा साम्राज्य में जाति भेद को खत्म कर दिया और नौसेना का निर्माण किया। इसी सत्कर्मों के लिए उनको विर छत्रपति की उपाधि मिली।

शिवाजी की मृत्यु और कारण

शिवाजी महाराज कम उम्र में ही उनकी मृत्यु हो गई थी राज्य की चिंता के कारण उनको तेज बुखार हो गया था यह बुखार उनको तीन सप्ताह तक रहा और 3 अप्रेल 1680 को उनकी मृत्यु हो गई। तब उनकी आयु 50 वर्ष की ही थी उनकी मृत्यु के बाद उनके स्नेही लोकों ने राज्य को सम्भाला और मुगलों और अंग्रेजो से लड़ते रहे।

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती?

हम हर साल शिवाजी महाराज की याद में जयंती मनाते है लेकिन कई लोगों को नहीं पता में बताता हूं। उनकी जयंती हर साल 19 फरवरी को धूम धाम से मनाई जाती है।

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Most asked question for shivaji maharaj

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक?

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक रायगढपूर में 6 जून 1674 के दिन हुआ था।

शिवाजी महाराज का जन्म और मृत्यु?

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था और उनकी मृत्यु रायगढ़पूर में 3 अप्रेल 1680 को हुआ था।

शिवाजी महाराज की संतानें?

शिवाजी महाराज के 2 पुत्र थे जिनका नाम संभाजी और राजाराम था इसके अलावा उनकी 5 पुत्री थी जिनका नाम सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक ओर राजकुमारबाई शिर्के था।

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