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Mother Teresa Biography

मदर टेरेसा की जीवनी | Mother teresa biography, Awards, Death, Family

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मदर टेरेसा जो (1910-1997) मैसेडोनिया गणराज्य की एक रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने भारत को अपनी सेवा के देश के रूप में अपनाया था। मदर टेरेसा ने कोलकाता, भारत में मिशनरीज ऑफ चैरिटीज रोमन कैथोलिक नन के एक आदेश के माध्यम से गरीब, बीमार और निराश्रितों की सेवा में अपना पूरा जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया। आज हम इस लेख में Mother Teresa Biography देखेंगे।

मदर टेरेसा ने एक बार कहा था “प्यार अपने आप नहीं रह सकता – इसका कोई अर्थ नहीं है। प्रेम को अमल में लाना है और वह कर्म ही सेवा है”। मदर टेरेसा का कार्य भू-राजनीतिक सीमाओं को पार कर गया और उन्होंने अपने उपचार आलिंगन में पूरी मानवता को शामिल किया। मदर टेरेसा के द्वारा किए गए कार्यो को कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के माध्यम से मान्यता मिली थी।

4 सितंबर 2016 के दिन पोप फ्रांसिस द्वारा वेटिकन में सेंट पीटर स्क्वायर में एक समारोह में मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी गई और उन्हें कलकत्ता की सेंट टेरेसा के रूप में जाना जाने लगा।

Table of Contents

General Information (Mother Teresa Biography)

रियल नाम:-एग्नेस निकोला बोजाक्सीयू
नाम:-मदर टेरेसा
जन्म तारीख:-26 अगस्त 1910
जन्म स्थान:-स्कोप्जे (अब मैसेडोनिया गणराज्य)
माता:-ड्रैनाफाइल बोजाक्सीहु
पिता:-निकोला बोजाक्सीयू
भाई-बहन:-लज़ार बोजाक्षिउ और बहन आगा बोजाक्षिउ
गृहनगर:-स्कोप्जे मैसेडोनिया गणराज्य
शिक्षा योग्यता:-आयरलैंड के रथफर्नहैम में लोरेटो क्वालिफिकेशन एबे में अंग्रेजी सीखी।
धर्म:-कैथोलिक
जाति:-अल्बानियाई
शौक:-परोपकारी गतिविधियाँ
वैवाहिक स्थिति:-अविवाहित
उम्र:-87 साल
मृत्यु:-5 सितंबर 1997
मृत्यु स्थान:-कोलकाता, पश्चिम बंगाल (भारत)
Mother Teresa Biography

मदर टेरेसा जन्म, शुरुआती जीवन और परिवार (Mother Teresa Birth, Early Life and Family)

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 के दिन हुआ था। मदर टेरेसा का जन्मस्थान स्कोप्जे था, जो अब मैसेडोनिया गणराज्य की राजधानी है। मदर टेरेसा एक अल्बानियाई-भारतीय रोमन कैथोलिक नन और मिशनरी थीं (जो धर्म के प्रचार-प्रसार में एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करती हैं)

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मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोजाक्सीयू था और उनकी माता का नाम ड्रैनाफाइल बोजाक्सीहु था। उसके पिता एक व्यवसायी थे। उन्होंने एक निर्माण ठेकेदार के रूप में काम किया और चिकित्सा दवाओं के सप्लायर भी थे।

मदर टेरेसा उनका असली नाम नहीं था। उनके बचपन का नाम एग्नेस था। वह एक ऐसी महिला थी जो अपने दिल में प्यार और करुणा के साथ पैदा हुई थी। एग्नेस का हृदय बचपन से ही अपार करुणा से भरा था। वह बचपन से ही बहुत पवित्र थी और दान के लिए हमेशा तैयार रहती थी। मदर टेरेसा को अपनी माता से महान मूल्य मिले हैं।

एग्नेस और उसकी माँ ने जहाँ तक संभव हो सके दूसरों की मदद की और साथ ही उन्होंने हमेशा दूसरों के लिए प्रार्थना भी की है। ड्रैनाफाइल बोजाक्सीहु नियमित रूप से दूसरों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं देकर उनकी मदद करती थी। यही सारे गुण मदर टेरेसा में भी आ गए।

मदर टेरेसा के जीवन की दुःख घटना (Tragedy in the life of Mother Teresa)

जब मदर टेरेसा मात्र 9 वर्ष की थी तब उसके पिता निकोला बोजाक्सीयू की मृत्यु हो गई थी। निकोला के निधन के बाद उसका बिजनेस पार्टनर सारे पैसे लेकर भाग गए। उस समय विश्व युद्ध भी चल रहा था, इन्हीं सब कारणों से उनका परिवार भी आर्थिक तंगी से बहुत जूझ रहा था। वह समय मदर टेरेसा और उनके परिवार के लिए सबसे दुखद दौर था।

लेकिन मदर टेरेसा की माता ड्रैनाफाइल बोजाक्सीयू एक बहुत ही मजबूत महिला थीं। उसने कभी उम्मीद नहीं खोई और अपने परिवार का भरण-पोषण करने की सारी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर उठा लीं। उसने अपने परिवार के अस्तित्व के लिए एक छोटे से व्यवसाय से शुरुआत की जहाँ उसने कढ़ाई वाले कपड़े और अन्य गढ़े हुए कपड़े बेचे।

मदर टेरेसा शिक्षा (Mother Teresa Education)

एग्नेस उर्फ मदर टेरेसा ने अपनी शुरुआती स्कूल की शिक्षा प्राइवेट कैथोलिक स्कूल से अल्बानियाई भाषा में पूरी की थी। जब मदर टेरेसा छोटी बच्ची थी तब वह बहुत आकर्षक थी। साथ में मदर टेरेसा की भूरी आँखें थीं जो उन्हें और भी आकर्षक बनाती थी। साथ ही वह प्रशांसा के योग्य थी क्योंकि वो हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करती थी। एग्नेस अपने स्कूल और कॉलेज में भी सबसे प्यारी थी। वह अपने कॉलेज की टॉप जिमनास्ट में से एक थी।

मदर टेरेसा के जीवन का टर्निंग पॉइन्ट (Turning Point of Mother Teresa’s Life)

जैसे-जैसे मदर टेरेसा समय के साथ बड़ी होती गईं उनके जीवन की दिशा और उद्देश्य दोनों ही बदल गए। वह चर्च की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रही थी। बचपन की परिस्थितियों ने मदर टेरेसा पर गहरा प्रभाव डाला था। इसके साथ ही उनकी माता ने उन्हें प्रभावित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। साल 1925 में एग्नेस की मुलाकात फादर फ्रेंजो जैम्ब्रेकोविक नामक पुजारी से हुई।

लेकिन पिता का मानना ​​​​था कि जब तक वे भौतिकवादी चीजों में लिप्त हैं। तब तक कोई दूसरों की सेवा नहीं कर सकता। पिता के इन विचारों का एग्नेस पर बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपना जीवन सादगी की ओर स्थानांतरित कर दिया।

स्नातक की पढ़ाई खत्म होने के बाद एग्नेस ने फैसला किया कि वह एक नन (मठवासिनी) बनना चाहती है और मानवता की सेवा करना चाहती है। नन एक महिला संत हैं जो जीवन भर आज्ञाकारी, शुद्ध और गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए जीने के लिए प्रतिबद्ध होने का संकल्प लेती हैं।

जब एग्नेस ने अपनी माता को अपना फैसला सुनाया तो उसकी माता स्तब्ध गई। हालाँकि उसने हमेशा दूसरों की मदद की है फिर भी एक मिशनरी नन बनना एक बहुत बड़ा निर्णय था। कुछ समय बाद ड्रैनाफाइल बोजाक्सीहु ने महसूस किया कि यही एग्नेस के जीवन का उद्देश्य है। तो आखिरकार 18 साल की उम्र में एग्नेस ने अपनी मां और भाई-बहनों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

जब उसने स्कोप्जे को छोड़ा तो वह लोरेटो की बहनों में शामिल हो गई। तारीख 1 दिसंबर 1928 को एग्नेस ने अन्य मिशनरियों के साथ आयरलैंड छोड़ दिया। उन्होंने नौकायन जहाज, मार्चा के माध्यम से यात्रा की और भारत की ओर चल पड़े। भूमध्य सागर, अरब सागर, लाल सागर और अंत में वे कोलंबो, श्रीलंका में उतरे। फिर वे सभी भारत आ गए।

एग्नेस से मदर टेरेसा बनने का सफर (Journey From Agnes To Mother Teresa)

जब एग्नेस (मदर टेरेसा) भारत पहुंची तब उसकी नन बनने की ट्रेनिंग शुरू हो गई थी। नन बनने के लिए तीन चरण होते है। पहला चरण नौसिखिए है। तारीख 23 मई 1929 को एग्नेस एक आधिकारिक नौसिखिया बन गई जो शुरुआती चरण है। जहां उन्होंने दूसरों की मदद करने की ट्रेनिंग ली।

दूसरा चरण पोस्टुलेंट है। यह प्रशिक्षण अवधि का धार्मिक चरण है। तीसरा और अंतिम चरण नन है। नन बनने की प्रक्रिया मे उन सभी के पास एक नया नाम रखने का विकल्प था। इसलिए एग्नेस ने अपना नाम ‘टेरेसा’ कर लिया। तो इस तरह स्कोप्जे की एग्नेस भारत की सिस्टर टेरेसा बनी।

टेरेसा ने खुद को गरीबों, जरूरतमंदों, शरणार्थियों, मलिन बस्तियों, विकलांगों और अवांछित लोगों की मां कहा। मदर टेरेसा ने न केवल एड्स रोगियों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान किया बल्कि उन्होंने उन्हें सामाजिक स्वीकृति भी दी और उन्हें अपनी करुणा से ठीक किया। वह उन तमाम लोगों के साथ थीं जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था और जो समाज के लिए बोझ थे। सभी जरूरतमंदों को ठीक करके वह मदर टेरेसा की सिस्टर टेरेसा बनीं।

मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना (Establishment of Missionaries of Charity)

मदर टेरेसा ने कई जरूरतमंदों की मदद की लेकिन जल्दी ही उसने महसूस किया कि दुनिया भर में ज़रूरतमंद लोगों और बच्चों की संख्या बहुत बड़ी है। इसलिए मदर टेरेसा ने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की और उसने विश्व स्तर पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं खोलीं।

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साल 1950 में मदर टेरेसा और अन्य मिशनरियों को अपने स्वयं के धर्मार्थ घर शुरू करने की आधिकारिक अनुमति मिली। 7 अक्टूबर 1950 को टेरेसा ने कलकत्ता में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की। टेरेसा ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में कई मिशनरी संस्थान खोले थे। मिशनरी के लिए अधिकांश निष्कर्ष विदेशों से प्राप्त हुए थे। भारतीयों और भारत सरकार ने भी उन्हें फंडिंग में मदद की थी।

मदर टेरेसा पुरस्कार (Mother Teresa Awards)

मदर टेरेसा के काम ने उन्हें दुनिया भर के व्यक्तियों के साथ-साथ संगठनों से कई प्रशंसाएं दिलाईं। इसी लिए उनको प्रोत्साहित करने के लिए कई पुरस्कार दिए गए थे जो हम आपके सामने ला रहे हैं।

साल:-पुरूस्कार नाम:-
1962उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया
1969उन्हें अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया
1979उन्हें साल 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला
1980भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया
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मदर टेरेसा का निधन और निधन का कारण (Mother Teresa’s death and cause of death)

वृद्धावस्था में मदर टेरेसा को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा था। वह ईस्टर्न कंट्री के डॉक्टरों से भी इलाज करा रही थी। फिर भी कुछ वर्षों के बाद उसके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जिसमें फेफड़े और गुर्दे भी शामिल थे और 5 सितंबर 1997 को 87 साल की उम्र में कोलकाता, पश्चिम बंगाल (भारत) में मदर टेरेसा का निधन हो गया था।

निष्कर्ष (Conclusion)

मदर टेरेसा 20 वीं सदी की सबसे महान इंसान के रूप में सामने आती हैं। उन्होंने अपने संगठनात्मक और प्रबंधन कौशल के साथ सहानुभूति और मानवता की अपनी दृष्टि को संरेखित किया। इन सभी कौशलों ने उन्हें वैश्विक स्तर पर चुनौतियों से निपटने और स्थापित मिशनरियों में मदद की थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन जरूरतमंदों के लिए समर्पित कर दिया था।

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FAQ

मदर टेरेसा के पिता कौन हैं?

निकोलो बोजाक्सीउ

मदर टेरेसा का वास्तविक नाम क्या है ?

मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोन्शे बोजाक्षिउ है।

मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था?

उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था।

किस वर्ष उन्हें मदर टेरेसा के नाम से जाना जाने लगा?

1946 में उन्हें मदर टेरेसा के नाम से जाना जाने लगा।

मदर टेरेसा को किस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार मिला?

मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

मदर टेरेसा की मृत्यु कब हुई थी?

5 सितंबर 1997 (87 साल)

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