स्वामी विवेकानंद जीवनी हिंदी में, आयु, जन्म, मृत्यु, परिवार, इतिहास, तथ्य, स्वामी विवेकानंद जयंती (Swami vivekananda biography in hindi, Age, Birth, Death, Family, History, Fact, Swami vivekananda jayanti)
नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका मेरे इस ब्लॉग पर।आज मैं आपको भारत के एक महान व्यक्ति की जीवनी के बारे मैं बताऊँगा। आपको जानकर खुशी होगी कि उनका जन्म भारत के कलकत्ता बंगाल मे हुआ था। जी हां दोस्तों आपने सही सोचा उनका नाम है स्वामी विवेकानंद जो भारत में बहुत लोकप्रिय है। आज हम इस लेख में देखेंगे Swami vivekananda biography in hindi. इस लेख को पूरा पढ़े जिससे आप Swami vivekananda जेसे आध्यात्मिक गुरु से रूबरू हो पाएंगे।
General Information:- (Swami vivekananda biography in hindi)
नाम:- | स्वामी विवेकानंद |
वास्तविक नाम:- | नरेंद्रनाथ दत्त |
जन्म:- | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान:- | कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
माता:- | भुवनेश्वरी देवी |
पिता:- | विश्वनाथ दत्त |
भाई-बहन:- | भूपेंद्रनाथ दत्त और स्वर्णमयी देवी |
स्कूल:- | ईश्वर चंद्र विद्यासागर महानगर संस्थान |
कॉलेज:- | प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय (कोलकाता), महासभा की संस्था (स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता) |
शिक्षा योग्यता:- | कला स्नातक (साल 1884) |
धर्म:- | हिन्दू |
जाति:- | कायस्थ: |
नागरिकता:- | भारतीय |
पेशा:- | भारतीय देशभक्त संत और साधु |
वैवाहिक स्थिति:- | अविवाहित |
मृत्यु:- | 4 जुलाई 1902 |
मृत्यु का कारण:- | मस्तिष्क में रक्त वाहिका का टूटना |
मृत्यु स्थान:- | बेलूर मठ, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
उम्र:- | 39 साल (मृत्यु के समय पर) |
स्वामी विवेकानंद जन्म और परिवार (Swami Vivekananda Birth & Family)
इनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था जिनको आज हम स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते है। आज के इस गोर कलयुग मैं युवा पीढ़ी को अपना जीवन सफल बनाने के लिए उनको आविष्कार और नई विचारों की जरूरत रहती है। इसलिए हम आपके लिए स्वामी विवेकानंद जीकी जीवन की गाथा ले कर आये है। जिससे आप प्रेरित होंगे। इनका पूरा नाम नरेंद्रनाथ दत्त है।
आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जुलाई 1902 को हुआ था। स्वामी विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी दत्त था। सन्यास धारण करने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र दत्त था। नरेंद्र के पिता जी विश्वनाथ दत्त पाश्रात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे और वे अपने पुत्र को अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्रात्य सभ्यता के रास्ते पर चलाना चाहते थे। नरेंद्र के पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता के उच्च न्यायलय मे (Attorney-at-law) थे और उच्च न्यायलय में वकालत करते थे।
स्वामी विवेकानंद प्रारंभिक जीवन और बचपन (Swami vivekananda early life & childhood)
स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही सब बच्चों से अलग थे। इसलिए ही सायद उनको सब बच्चों से अलग तरह के सपने आते थे। एक बार जब स्वामी जी छोटे बच्चे थे तब उनको एक सपना आया था, उस सपने में उनको एक चमकता हुआ एक सुंदर गोला दिख रहा था। उस गोले से बहुत प्रकार की रोशनी की किरणें उन पर आ रहीं थीं। उस गोले का रंग और आकार धीरे धीरे बदल रहा था। एक समय के बाद वह गोला विस्फोट हो गया और वह फुट गया।
इस गोले मैं से सफेद किरण निकल रहीं थी। वो सफेद रोशनी स्वामी जी पर गिरने लगी। उस रोशनी ने स्वामी विवेकानंद को पूरी तरह अपने अंदर ढक लिया था। छोटी सी उम्र मैं स्वामी जी भिन्न भिन्न धर्मों के लिए जेसे की हिंदू-मुस्लिम और अमीर-गरीब, सफेद-काला रंग जेसे भेदभाव करने के लिए सवाल उठा ते थे।
एकबार जब स्वामी जी छोटे बच्चे थे तब उन्होंने अपने पिता से एक बार एक प्रश्न पूछा था कि आपने मेरे लिए क्या किया है। उनके पिता ने उनको आईना देखने के लिए कहा। उनके पिता जी ने कहा अपने आप को इस आइने मैं देखो, तुम खुद समझ जाओगे की मेने तुम्हारे लिए क्या-क्या किया है। फिर स्वामी जी ने एक बार अपने पिताजी से पूछा कि मुझको दुनिया के सामने अपनी केसी छबि रखनी चाहिए। पिताजी ने हस्ते हुए कहा बेटा कभी भी किसी चीज को देख के आश्चर्य चकित मत होना। यही कारण था कि स्वामी जी सब का आदर करते थे और किसी को भी चोट नहीं देते थे।
Maharana pratap biography in hindi
रामकृष्ण परमहंस से पहली मुलाकात (First meeting with Ramakrishna Paramhansa)
स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही बुद्धिमान बच्चे थे और परमात्मा में वे बहुत मानते थे इनके पास बहोत आध्यात्मिक ज्ञान था इसीलिए ये पहले ब्रह्म समाज में गए परन्तु वहा इनका मन संतुस्ट ना हुआ और उसी समय वह अपने धार्मिक व आध्यात्मिक संशयो की निवारण हेतु अनेक लोगो से मिले लेकिन कही भी इनकी शंकाओ का समाधान ना मिला।
एक दिन स्वामी विवेकानंद के रिश्तेदार ने उनको रामकृष्ण परमहंस के बारे मैं बताया तब स्वामी विवेकानंद जी को उनमे रुचि होने लगी और उनसे मिलने की इच्छा हुई, तो उनके एक रिश्तेदार ने उनको रामकृष्ण परमहंस के पास ले गए।
रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र को देखते ही एक प्रश्न पूछ कि लिया “क्या तुम धर्मं विषयक कुछ भजन गा सकते हो?” इसका उत्तर देते हुए नरेंद्र दत्त ने कहा कि हाँ, मैं धर्मं विषयक भजन गा सकता हूँ। फिर नरेंद्र ने कुछ भजन अपने मधुर स्वर से सुनाए। नरेंद्रनाथ के भजन सुन कर रामकृष्ण परमहंस बहुत ही ज्यादा खुश हो गए। तभी से नरेंद्र दत्त रामकृष्ण परमहंस सत्संग करने लग गए और उनके शिष्य बन गए।
नरेंद्र दत्त रामकृष्ण परमहंस के साथ रह कर दृढ़ अनुयायी बन गए थे। रामकृष्ण परमहंस का 16 अगस्त 1886 को वो परलोक सिधार गये। उसके बाद स्वामी विवेकानंद सन 1887 से 1892 तक अज्ञातवास मैं रहे। अज्ञातवास मैं रहने के बाद स्वामी विवेकानंद जीने वेदांत और हिंदी संस्कृति को प्रचलित करने के लिए योगदान देना चाहते थे। इसलिए स्वामी विवेकानंद एक बहुत बड़े ज्ञानी महा-पुरुष थे। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन मैं कहीं सारे मंत्र दिए है। जो आपको सफल बनने के लिए आपके जीवन मैं बहुत काम आयेंगे।
स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक जागृति (Swami Vivekananda Spiritual Awakening)
साल 1884 में, स्वामी विवेकानंद ने अपने पिता की मृत्यु के बाद खुद को काफी वित्तीय कठिनाई में पाया, क्योंकि उन्हें अपनी मां और उनके छोटे भाई-बहनों का समर्थन करना पड़ा था। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस से अपने परिवार की वित्तीय भलाई के लिए देवी से प्रार्थना करने को कहा। रामकृष्ण परमहंस के सुझाव पर वे स्वयं मंदिर में प्रार्थना करने गए। लेकिन जैसे ही उन्होंने देवी का सामना किया, वे धन या संपति नहीं मांग सके, बल्कि “विवेक” और “बैराग्य” (एकांत) मांगे। उस दिन से नरेंद्रनाथ के पूर्ण आध्यात्मिक जागरण को चिह्नित किया गया था और वे एक तपस्वी जीवन शैली के लिए तैयार हो गए थे।
स्वामी विवेकानंद का जीवन बदलने वाला मंत्र (Swami vivekananda life changing mantra)
मंत्र 1:- उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाये।
मंत्र 2:- तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता नाही कोई तुम्हें सीखा सकता है, तुमको सब कुछ खुद अपने आत्मा से सीखना होगा।
मंत्र 3:- दुनिया मे खुद को कमजोर समझना, सबसे बड़ा पाप हैं।
मंत्र 4:- बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप होता हैं।
मंत्र 5:- सत्य को हम हज़ार तरीकों से बता सकते हैं, फिर भी वह सत्य ही रहेगा।
मंत्र 6:-विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
मंत्र 7:- ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
मंत्र 8:- शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
मंत्र 9:- दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा दिल की सुनो।
मंत्र 10:- किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये तो आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद शिकागो धर्म परिषद (Swami vivekananda chicago dharma parishad)
दोस्तो 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो शहर मैं विश्व धर्म परिषद का कार्यक्रम होने वाला था। जिसमें आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी, उस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
जेसे ही स्वामी विवेकानंद जी ने अपने मधुर स्वर और तेजस्वी वाणी से भाषण की शुरुआत की और कहा “मेरे अमेरिकी भाईयो और बहनो” वो शब्द सुनते ही पूरा सभाकक्ष तालियों की शोर से गूंज उठा, 5 मिनिट तक तालियां की गड़गड़ाहट सभाकक्ष मैं चलती रहीं इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण मैं भारतीय सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति के विषय मैं अपने उच्चस्तरीय विचार प्रगट किए।
इस भाषण से न केवल अमेरिका ब्लकि विश्वभर मैं स्वामी विवेकानंद जी का सन्मान और गौरव बड़ गया था। स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा यह भाषण इतिहास के पन्नों मैं अमर बन गया है। शिकागो धर्म परिषद के बाद स्वामी विवेकानंद 3 वर्षा तक कई देशों में प्रचार किया जेसे की अमेरीका और ब्रिटेन मैं शिक्षा का प्रचार करते रहे। 15 अगस्त 1897 को स्वामी विवेकानंद जी श्रीलंका पहुंचे वंहा पर उनका शानदार स्वागत हुआ था।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना (Foundation of Ramakrishna Mission)
स्वामी विवेकानंद साल 1897 में भारत वापिस लौट आए और उनका आम और शाही लोगों द्वारा समान रूप से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। वह देश भर में व्याख्यानों की एक श्रृंखला के बाद कलकत्ता आए और 1 मई 1897 को कलकत्ता के पास बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन की स्थापना शुरू की थी। रामकृष्ण मिशन के लक्ष्य कर्म योग के आदर्शों पर आधारित थे और इसका मुख्य लक्ष्य देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना ही था।
रामकृष्ण मिशन ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक सेवा की थी जैसे कि स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना और प्रबंधन, व्याख्यान, सेमिनार और कार्यशालाओं के माध्यम से वेदांत के व्यावहारिक सिद्धांतों का प्रसार और देश भर में राहत और पुनर्वास कार्य की शुरुआत की थी।
उनकी धार्मिक जागरूकता दैवीय अभिव्यक्ति पर श्री रामकृष्ण की आध्यात्मिक शिक्षाओं और अद्वैत वेदांत दर्शन के उनके व्यक्तिगत आंतरिककरण का मिश्रण था। उन्होंने निस्वार्थ कर्म, पूजा और आध्यात्मिक अनुशासन के माध्यम से आत्मा की दिव्यता प्राप्त करने के लिए खुद को निर्देशित किया था। स्वामी विवेकानंद के अनुसार अंतिम लक्ष्य आत्मा की स्वतंत्रता प्राप्त करना है और इसमें संपूर्ण धर्म शामिल है।
स्वामी विवेकानंद एक प्रमुख राष्ट्रवादी थे और अपने हमवतन लोगों के सामान्य कल्याण को ध्यान में रखते थे। उसने अपने हमवतन लोगों से आग्रह किया था कि “उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते।”
स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी (Swami vivekananda life story in hindi)
जब स्वामी विवेकानंद के नाम का डंका विश्वभर में बज चुका था तब स्वामी विवेकानंद जी से प्रभावित होकर एक विदेशी महिला को, उनसे मिलने की इच्छा हुई और वो तुरंत स्वामी जी को मिलने चली आई। उस विदेशी महिला ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा कि मैं आपसे प्रेम करती हूं और आपसे शादी करना चाहती हूँ। स्वामी जी ने इसका उत्तर देते हुए कहा की है देवी मैं तो ब्रह्मचारी पुरुष हूं, आपसे में केसे शादी कर सकता हूँ?

वह विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद जी से इसलिए शादी करना चाहती थी क्योंकि उनको भी स्वामी विवेकानंद के जेसा पुत्र चाहिए था और वो बड़ा होके विश्व में अपने ज्ञान और विचार को फेला सके और उसका नाम रोशन कर सके।
यह बात जब स्वामी विवेकानंद को पता चली तब उन्होंने उस विदेशी महिला को नमस्ते किया और कहा “है माँ लीजिए, आज से आप मेरी माँ है” स्वामी जी ने कहा आपको मेरे जेसा पुत्र भी मिल गया और मेरे ब्रह्मचारी नियम का पालन भी हो गया। यह सुनते ही वह विदेशी महिला स्वामी जी के चरणों पर आ गई।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Swami vivekananda death)
स्वामी विवेकानंद सन 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ मैं पूजा अर्चना किया और उसके बाद योग किया। फिर उन्होंने अपने छात्रों को योग, वेद, धर्म और संस्कृति विषय के बारे मैं पढ़ाया। जब संध्याकाल का समय हुआ तब स्वामी विवेकानंद अपने कमरे मैं योग करने गए और उनके शिष्यों को उनकी शान्ति को भंग करने के लिए मना किया और वो अपने कमरे में चले गए। योग करते समय उनकी मृत्यु हो गई। मात्र 39 वर्ष की उम्र मैं स्वामी जी जेसे अदभुद और प्रेरणा पुंज आध्यात्मिक गुरु प्रभु से मिलन हो गया।
स्वामी विवेकानंद की किताबें (Swami vivekananda books)
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन मैं बहुत सी अच्छी किताबे लिखी हुई है। जो आपको अपना जीवन आसान बनाने ने के लिए अवश्य पढ़नी चाहिए।
किताब 1:- कर्मयोग
किताब 2:- स्वामी विवेकानंद उपदेश
किताब 3:- मेरा जीवन तथा ध्येय
किताब 4:- जाग्रति का संदेश
किताब 5:- भारतीय नारी
किताब 6:- वर्तमान भारत
किताब 7:- जाती संस्कृति और समाजवाद
स्वामी विवेकानंद युवा दिवस (Swami vivekananda youth Day)
पूरे विश्व में स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदू संस्कृति का प्रचार अपने तेजस्वी वाणी और आध्यात्मिक ज्ञान से किया और भारत का पूरे विश्व में डंका बजा दिया। इस तरह भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद को अपना आध्यात्मक और बुद्धिवादी व्यक्ती माना और देश के युवा को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की याद मैं राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की जीवनी के बारे में अज्ञात तथ्य (Unknown Facts About Swami vivekananda biography in hindi)
- स्वामी विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था। वे योगियों के स्वभाव के साथ पैदा हुए थे और बहुत कम उम्र में ही ध्यान करते थे।
- स्वामी विवेकानंद के पिता का बचपन में ही आकस्मिक निधन हो गया था। इससे उनके परिवार की आर्थिक रीढ़ टूट गई और पूरा परिवार गरीबी में धकेल दिया गया।
- एक भिक्षु के रूप में दीक्षा लेने से पहले, नरेंद्रनाथ ने कई क्षेत्रों से दैवीय प्रभाव मांगा था। वह 1880 में ब्रह्म समाज के संस्थापक और रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर से मिले। जब उन्होंने टैगोर से पूछा कि क्या उन्होंने भगवान को देखा है, तो टैगोर ने जवाब दिया, “मेरे लड़के, आपके पास योगी की आंखें हैं”
- स्वामी विवेकानंद वह व्यक्ति थे जिन्होंने वेदांत दर्शन को पश्चिम में ले लिया और हिंदू धर्म में भारी सुधार किया।
- स्वामी विवेकानंद जी को खिचड़ी बहुत पसंद थी और यह उनके मठ में नियमित रूप से परोसा जाता था।
- स्वामीजी ने हमेशा कहा था कि वह 40 वर्ष की आयु तक जीवित नहीं रहेंगे और 39 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
- जब शिक्षाविदों की बात आती है, नरेंद्र नाथ दत्ता अंक प्राप्त करने में महान नहीं थे। उन्होंने तीन विश्वविद्यालय परीक्षाएं दीं – प्रवेश परीक्षा, प्रथम कला मानक (एफए, जो बाद में इंटरमीडिएट कला या आईए बन गया) और कला स्नातक (बीए)। अंग्रेजी भाषा में उनके अंक प्रवेश स्तर पर 47 प्रतिशत, एफए में 46 प्रतिशत और बीए में 56 प्रतिशत थे।
Frequently Asked Question About Swami Vivekananda biography in hindi
स्वामी विवेकानंद कौन हैं?
स्वामी विवेकानंद एक साधु, हिंदू आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक और एक युवा नेता थे जो हर प्राणी के बीच समानता में विश्वास करते थे और उनकी शिक्षाएं और दर्शन उसी को दर्शाते हैं। एक धनी परिवार में पैदा होने के बावजूद उन्होंने ईश्वर को महसूस करने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया और दुनिया को सिखाते हैं कि ईश्वर की सेवा करने का तरीका मानव जाति की मदद करना है। वह नेता जिसने किसी का पक्ष नहीं लिया और उसकी शिक्षाओं ने हमेशा मदद करने और हर एक की भलाई करने की बात कही।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई थी?
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुई थी।
स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ था?
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जुलाई 1902 को हुआ था।
स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम क्या है?
स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था।
स्वामी विवेकानंद किस लिए जाने जाते हैं?
स्वामी विवेकानंद को 1893 की विश्व धर्म संसद में उनके अभूतपूर्व भाषण के लिए जाना जाता है जिसमें उन्होंने अमेरिका में हिंदू धर्म का परिचय दिया और धार्मिक सहिष्णुता का आह्वान किया।
आशा कर्ता हूं दोस्तों आपको Swami vivekananda biography in hindi को पढ़कर बहुत अच्छा लगा होगा और इससे कुछ सीखने को मिला होगा। अगर हो सके तो हमारी वेबसाइट Biographyindian.in को अपने दोस्तों और अपने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर शेयर करे और हमको Facebook पर फॉलो करे। धन्यवाद।
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