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Jawaharlal Nehru Biography In Hindi

जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय | Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

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दोस्तों आज हम इस लेख में Pandit Jawaharlal Nehru Biography In Hindi देखेंगे। आप तो जानते ही होंगे कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने भारत के सबसे लम्बे कार्यकाल साल 1947 से 1964 तक भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र नेता के रूप में शासन किया जो 17 साल का कार्यकाल है।

स्वतंत्रता के पहले और स्वतंत्रता के बाद Jawaharlal Nehru का भारतीय राजनीति में महत्वपुर्ण योगदान रहा और काफी प्रसिद्ध भारतीय नेता के रूप में उभर कर सामने आए।

उनकी कई साहसिक नीतिया और उपलब्धियो के कारण ही Jawaharlal Nehru को आधुनिक भारत का निर्मता कहा जाता है।

कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े होने के कारण उन्हें पंडित नेहरू के रूप में भी जाना जाता था। जबकि भारतीय बच्चे उन्हें नेहरू चाचा के नाम से बेहतर जानते है। तो आइये हम जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (Jawaharlal Nehru Biography in Hindi) देखते है।

Table of Contents

General Information About Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

नाम:-जवाहरलाल नेहरू
उपनाम:-चाचा नेहरू, पंडित नेहरू 
जन्म:-14 नवंबर 1889, इलाहबाद, भारत
मृत्यु:-27 मई 1964 (उम्र 74), नई दिल्ली, भारत 
पिता का नाम:-पंडित मोतीलाल नेहरू
माता का नाम:-स्वारूप रानी नेहरू
भाई-बहनों के नाम:-विजया लक्ष्मी पंडित कृष्णा नेहरू हत्थिंग
वैवाहिक स्थिति:-विवाहित
पत्नी का नाम:-कमला कौल
बच्चो के नाम:-इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी 
पेशा:-बैरिस्टर, लेखक, राजनीतिज्ञ
भाषा:-हिंदी, अंग्रेज़ी 
पुरस्कार:-भारत रत्न (1955)
राजनीतिक दल:-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
शैक्षिक:-ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज
पद:-भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
(15 अगस्त 1947–27 मई 1964)
रक्षा मन्त्री
(31 अक्टूबर 1962–14 नवम्बर 1962)
वित्त मन्त्री
(13 फरवरी 1958–13 मार्च 1958)
विदेश मन्त्री
(15 अगस्त 1947–27 मई 1964)
जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

जवाहरलाल नेहरू फैमिली ट्री (Jawaharlal Nehru Family Tree)

14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में पंडित नेहरू का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू जो एक धनी वकील थे और खुद कश्मीरी पंडित समुदाय से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने साल 1919 और 1928 में दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता की।

मोतीलाल नेहरू की दूसरी पत्नी रानी हुसु जो पाकिस्तान, लाहौर में कश्मीर ब्राह्मण के परिवार से ताल्लुक रखती थी। तीन बच्चों में जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े थे। बड़ी बहन विजया लक्ष्मी थी जो बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला नेता बनीं।

सबसे छोटी बहन कृष्णा हुथेसिंग जो एक प्रमुख लेखिका बनीं और उन्होंने अपने भाई के बारे में कई किताबें लिखीं। बचपन से ही आलीशान संपति के मालिक होने के कारण मोतीलाल नेहरू ने अपने बेटे जवाहरलाल की पढाई उनके निजी शासन और ट्यूटर्स द्वारा घर पर करवाई। युवा अवस्था के दौरान ही जवाहरलाल नेहरू एक उत्साही राष्ट्रवादी बन गए थे।

अक्टूबर 1907 में नेहरू कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए और 1910 में Natural Science की डिग्री प्राप्त कर भारत वापिस लौट आए। लेकिन उनका ज्यादा ध्यान राजनीतिक और आर्थिक विषियों की तरफ था जिसके कारण साल 1910 में स्नातक होने के बाद नेहरू लंदन चले गए और इनर टेम्पल इन में कानून का अध्ययन किया।

साल 1912 में भारत लौटने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत का अभ्यास किया पर पिता की तरह सफल न हो सके। नेहरू ने पटना में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में भाग लिया और उसके बाद वे कांग्रेस के गतिविधयों से जुड़े रहे।

साल 1916 में 26 साल के उम्र में जवाहरलाल नेहरू ने 16 वर्षीय कमला कौल से शादी कर ली। एक साल बाद 1917 में उनकी इकलौती बेटी इंदिरा प्रियदर्शनी का जन्म हुआ, जिन्हे हम इंदिरा गाँधी के नाम से जानते है।

स्वतंत्रा आंदोलन में योगदान (Involvement in Independence)

नेता के रूप में उभरे जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचारों को कट्टरपंथी माना जाता था। हालाँकि उस समय गोपाल कृष्ण गोखले और मोतीलाल नेहरू के नरम विचारधारा के विरोध में थे।

जवाहरलाल नेहरू ने असहयोग की राजनीति की खुले तौर पर बात की और ब्रिटिश सरकार के अधीन राजनीति नीतियों के समर्थन के लिए भारतीय सिविल सेवा का विरोध किया। वे राष्ट्रीय आंदोलन की गति से संतुष्ट नहीं थे जिसके कारण आक्रामक राष्ट्रवादी नेताओं (एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक) में शामिल हो गए जो भारतीयों के लिए होम रूल की मांग कर रहे थे।

1916 में बेसेंट के होम रूल लीग (Home Rule Movement) से नेहरू काफी प्रभावित हुए जिसमे भारत को डोमिनियन का दर्जा प्राप्त होने की माँग थी। नेहरू आंदोलन में शामिल हुए और बेसेंट होम रूल लीग के सचिव बन गए।

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रत भारत के पहले प्रधानमंत्री (Jawaharlal Nehru First Prime Minister of independent India)

नेहरू जी महात्मा गाँधी से पहली बार 1916 में मिले और उनके विचारधारा का समर्थन किया। उनका 1920 में असहयोग आंदोलन में अहम योगदान रहा जिसमे उन्होंने संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) में आंदोलन का नेतृत्व किया।

लेकिन चौरी चौरा की घटना के बाद असहयोग आंदोलन को अचानक बंद कर दिया गया। 1923 में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का जनरल सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया।

पूर्ण स्वराज की मांग के मद्देनजर 1928 में उन्होंने अपने ही सदन के नेहरू रिपोर्ट के अंतर्गत डोमिनियन स्टेटस के दर्जे की मांग को खारिज कर दिया। 1929 में नेहरू ने कांग्रेस की नीतियों और भारतीय राष्ट्र का प्रारूप तैयार किया।

जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के पहले नेता थे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को ब्रिटिश साम्राज्य के साथ सभी संबंधों से पूर्ण आज़ाद होने का संकल्प लिया।

1930 की आधी रात को जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर के रावी तट पर भारत का तिरंगा झंडा फहराया और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में पूर्ण स्वराज की घोषणा की।

नेहरू काफी समय जेल में रहे लगभग 9 साल जिसमे Civil Disobedience Movement (1930-1934) और Quit India Movement शामिल है। जवाहरलाल नेहरू के बारे में जाने तो कांग्रेस नेता के रूप में वह 1929, 1936, 1937 और 1951-54 तक पार्टी में रहे। वर्ष 1946 में अंतरिम कैबिनेट का नेतत्व किया और 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू ने Cabinet पद पर B.R Ambedkar (Law Minister) और Shyama Prasad Mukurji (Hindu Mahasabha) जैसे दिग्गज नेताओ को भी जगह दी जो नेहरू के नीतियों के खिलाफ रहे। इसके अलावा मुस्लिम लीग के 46 नेताओ को भी इसमें शामिल किया।

जवाहरलाल नेहरू के नारे – (Pandit Jawaharlal Nehru Speech)

15 अगस्त को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में “ट्राइस्ट विद डेस्टिनी” (Tryst with Destiny) भाषण काफी प्रसिद्ध हुआ। जिसके बोल इस प्रकार है :-

बहुत साल पहले हमने भाग्य के साथ एक कोशिश की थी और अब समय आ गया है जब हम अपनी प्रतिज्ञा को पूरी तरह से या पूर्ण माप में नहीं, बल्कि बहुत हद तक भुनाएंगे। आधी रात के समय, जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागता है। एक क्षण आता है, जो इतिहास में शायद ही कभी आता है, जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाते हैं, जब एक उम्र समाप्त होती है, और जब एक राष्ट्र की आत्मा, लंबे समय से दबा हुआ, पूरी तरह से बोलती है। यह उचित है कि इस महत्वपूर्ण क्षण में हम भारत और उसके लोगों की सेवा और मानवता के लिए अभी भी बड़े उद्देश्य के प्रति समर्पण का संकल्प लेते हैं।

महात्मा गाँधी की दुखद मृत्यु की खबर जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से पुरे राष्ट्र को संबोधित किया जिसके बोल इस प्रकार थे।

दोस्तों और साथियों, प्रकाश हमारे जीवन से बाहर चला गया है और हर जगह अंधेरा है, और मुझे यह नहीं पता है कि आपको क्या कहना है या कैसे कहना है। हमारे प्रिय नेता, गांधी बापू जैसा कि हमने उन्हें राष्ट्र का पिता कहा है। अब और नहीं। शायद मैं यह कहना गलत हूँ; फिर भी, हम उसे फिर से नहीं देखेंगे, जैसा कि हमने उसे इन कई वर्षों से देखा है, हम उससे सलाह लेने के लिए उसके पास नहीं जाएंगे और न ही उससे कोई समाधान मांगेंगे, और यह एक भयानक झटका है, न केवल मेरे लिए, बल्कि लाखों और लाखों लोगों के लिए इस देश में।

नेहरू पॉलिसी (Nehru Policy And Vision)

जवाहरलाल नेहरू की सबसे बड़ी उपलब्धि उनकी असाधरण देश-विदेश नीतियाँ है। शुरुआत में सामाजिक आर्थिक नीतियां (Soical Economic Policies) पर जोर दिया लेकिन साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और आधुनिकीकरण के लिए Mixed Economy का भी समर्थन किया।

निजी उद्योगों से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में स्टील, लोहा, कोयला और बिजली में निवेश को बढ़ावा दिया। उनकी बहुउद्देश्यीय परियोजना (Multi-Purpose Project) में नदी घाटी परियोजना (River valley Projects) पर खासा ध्यान दिया।

शिक्षा के क्षेत्र में Science And Technology में जवाहरलाल नेहरू का सराहनीय योगदान रहा। उनका मानना था कि भारत को प्रगतिशील देश बनाने के लिए देश के बच्चों और युवाओं को आगे आना होगा। इसके लिए सरकार ने उच्च शिक्षा के कई संस्थानों की स्थापना की, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) शामिल हैं।

जवाहरलाल नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सद्भाव का भी समर्थन किया, जिससे सरकार में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़ा। उन्होंने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों को सरकारी सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था बनाई। साल 1952 में उन्होंने भारत को ऐसा पहला देश बनाया जिसमे सभी वर्ग के लोगो को वोट डालने की व्यवस्था थी।

Power Project के क्षेत्र में जवाहरलाल नेहरू का Nuclear Policy में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भौतिक विज्ञानी डॉ होमी जे के नेतत्व में जवाहरलाल नेहरू ने परमाणु हथियारों के विकास की कल्पना की और 1948 में भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की। शुरुआत में यह कार्यक्रम शांतिप्रिय रहा लेकिन 1962 के चीन युद्ध में हार के बाद परमाणु हथियार कार्यक्रम के विकास में तेजी आई।

जवाहरलाल नेहरू को क्यों याद किया जाता है?

  • अपने जीवनकाल में, जवाहरलाल नेहरू को भारत में एक प्रतिष्ठित हस्ति के तौर में जाना जाता था। उनके आदर्श और राज्य-कौशल के लिए दुनिया भर में काफी प्रशंसा की गई। नेहरू जी को बच्चे बहुत पसंद थे इसलिए हर साल 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • उन्होंने समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक परंपराओं को साथ लेकर भारत की मजबूत नींव की आधारशिला रखी।
  • नेहरू का व्यक्तिगत पहनावा शेरवानी आज भी लोगो की पसंद को सुनिश्चित करता है। नेहरू जैकेट का नाम भी इस शैली के लिए उनके सम्मान में रखा गया था।
  • नेहरू की याद में पूरे भारत में कई सार्वजनिक संस्थान और स्मारक मौज़ूद है जैसे दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। मुंबई शहर के पास जवाहरलाल नेहरू पोर्ट एक आधुनिक बंदरगाह और डॉक है। दिल्ली में नेहरू के निवास को टीन मूर्ति हाउस , जहां अब नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय के रूप में संरक्षित किया गया है।
  • अपने करिश्माई व्यक्तिव के रूप में आम जनता से लेकर विशाल ज्ञान, दुनिया के विचारों और वक्तृत्व कौशल के लिए शिक्षित और बुद्धिमान लोगों के बीच भी लोकप्रिय रहे।

नेहरू की आलोचना का कारण (Jawaharlal Nehru Criticism)

यह कहना गलत नहीं होगा की नेहरू की उदारवादी विचारधारा ने भारत को विकास के क्षेत्र में पूरी दुनिया में एक बेहतर स्थान पर खड़ा कर दिया। उनके कानून और देश नीतियों ने सबको प्रभावित किया लेकिन कुछ मसलो में वे अपने को साबित न कर सके जिसका खामियाजा आज भी देश सेह रहा है।

आइये जानते है ऐसे मुद्दे जिसका समाधान निकलने में नेहरू असफल रहे या एसे कार्य जिसके कारण जवाहरलाल नेहरू को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा।

  1. Nepotism (भाई-भतीजावाद)- 1950 में इंदिरा को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया, जिसके कारण नेहरू को आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन यह कहा जाता है वे इंदिरा गाँधी के सियासत में आने के विरोध में थे। हलाकि इंदिरा के नेतत्व में भाई-भतीजावाद की राजनीती खूब चली।
  2. 1954 में नेहरू ने चीन के साथ पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिन्हें दोनों देशों के बीच शासन करने के लिए सिद्धांतों को निर्धारित किया गया। नेहरू को पूरा यकीन था चीन इसका पालन करेंगे लेकिन 1962 में चीन ने अचानक भारत पर हमला कर दिया। अब तब दोनों देशो के बीच तनाव का माहोल है।
  3. पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुंचने में कश्मीर मुद्दा और पॉलिसीस जैसे नाजुक मुद्दे को UN (United Nation) तक ले जाना नेहरू को काफी भरी पड़ा। आज तक भारत-पाकिस्तान के संबंधों में सुधार नहीं हो पाया।

जवाहरलाल नेहरू की पुस्तके (Books Written By Jawaharlal Nehru)

नेहरू एक कुशल राजनेता होने के साथ साथ अंग्रेजी भाषा के एक प्रख्यात लेखक भी थे। उनकी प्रकाशित पुस्तकें कुछ इस प्रकार है।

Jawaharlal Nehru Books Year:-
एक पिता का अपनी बेटी को पत्र  (Letters from a Father to His Daughter)1929
विश्व इतिहास की झलक (Glimpses of World History)1933
मेरी कहानी (An Autobiography)1936
भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी (The Discovery of India)1945
Books Written By Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब हुई (Jawaharlal Nehru Death And Reason)

वर्ष 1962 के बाद से जवाहरलाल नेहरू की सेहत में लगातार गिरावट आने लगी थी, हालांकि कई विशेष्यगो का कहना था इसकी बड़ी वजह चीन का विश्वासघात था जिसे जवाहरलाल नेहरू सहन न कर सके। 27 मई 1964 को दिल्ली में स्थानीय समय 2 बजे उनकी मृत्यु की घोषणा की गई। माना जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी। जवाहरलाल नेहरू का दिल्ली में यमुना नदी के तट पर शांतिवन बाग में Jawaharlal Nehru Funeral किया गया।


जवाहरलाल नेहरू के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Fact About JawaharLal Nehru)

Fact 1:- नेहरू ने हैरो और ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पढ़ाई की। उन्होंने इनर टेंपल से अपना बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त की। वहां उनको प्यार से जोए नेहरू भी कहा जाता था।

Fact 2:- पंडित जवाहरलाल नेहरू की हत्या के चार प्रयास विफल रहे थे। पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में रिक्शा में , तीसरी बार 1956 में और चौथी बार 1961 में मुंबई में। हलाकि 27 मई, 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

Fact 3:- जवाहरलाल नेहरू ने अपनी बेटी इंदिरा गांधी को 30 पत्र लिखे, जब वह 10 साल की थीं और मसूरी के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी। पत्र में प्राकृतिक इतिहास और सभ्यताओं के बारे में उल्लेख था। इन पत्रों का संग्रह कर बाद में Letters From A Father to His Daughter के नाम से प्रकाशित किया गया।

Fact 4:- साल 1955 में जवाहरलाल नेहरू को भारत की सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

Fact 5:- नेहरू चाचा के शोक यात्रा में लगभग 1.5 मिलियन (15 लाख) लोग दिल्ली की सड़कों पर एकत्रित हुए थे। इससे पता चलता है वे आम लोगो के बीच कितने लोकप्रिय रहे।

Fact 6:- 1936 में कमला की मृत्यु के बाद, जवाहरलाल नेहरू के कई महिलाओं के साथ संबंध होने की अफवाह थी। इनमें श्रद्धा माता, पद्मजा नायडू और एडविना माउंटबेटन शामिल थीं। एडविना की बेटी पामेला ने अपने डायरी और लिखे किताबो में एडविना के साथ नेहरू के संबंध को स्वीकार किया।

Fact 7:- नेहरू को सिगरेट पीने की बहुत आदत थी। मध्य प्रदेश की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, चाचा नेहरू को “555” ब्रांड की सिगरेट बहुत पसंद थी, जिसे लेने के लिए केवल भोपाल से इंदौर के लिए एक विशेष विमान उड़ान भरी गई थी।

Fact 8:- नेहरू-गांधी परिवार भारत में एक प्रमुख राजनीतिक परिवार है, जो देश की आजादी के बाद से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े हुए है। नेहरू परिवार के साथ गांधी का नाम फिरोज गांधी से आता है, जो इंदिरा गांधी के पति थे। महात्मा गांधी से नेहरू परिवार का कोई सम्बंद नहीं है।


FAQ’s About Jawaharlal Nehru Biography

जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में एक संपन्न कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

जवाहरलाल नेहरू ने बैरिस्टर के रूप में अपनी पढ़ाई कहाँ से पूरी की थी?

जवाहरलाल नेहरू ने बैरिस्टर के रूप में अपनी पढ़ाई लंदन के इनर टेंपल में पूरी की थी।

जवाहरलाल नेहरू की शादी कब हुई थी?

जवाहरलाल नेहरू ने साल 1916 में कमला कौल से शादी की और दिल्ली में बस गए।

जवाहरलाल नेहरू पहली बार महात्मा गांधी से कब मिले थे?

वर्ष 1916 में जवाहरलाल नेहरू पहली बार महात्मा गांधी से मिले और उनसे बहुत प्रेरित हुए।

जवाहरलाल नेहरू ने किस अखबार की शुरुआत की थी?

जवाहरलाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड नामक एक भारतीय समाचार पत्र की शुरुआत साल 1938 में की थी और इस समाचार पत्र को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू ने ‘इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग’ की खोज कब की थी?

1928 में, जवाहरलाल नेहरू ने ‘इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग’ की स्थापना की और इसके महासचिव बने।

जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब हुई?

27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। दिल्ली में यमुना नदी के तट पर शांतिवन में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

Slogan Of Jawaharlal Nehru In Hindi (Jawaharlal Nehru Quotes In Hindi)

“कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरह निर्देशित किया जाना चाहिए”

“असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं”

“लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयं में लक्ष्य नहीं”

“दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है”

“आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं”

“संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है”

“जो व्यक्ति भागता है वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है”

“बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ा खतरा है”

“लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है”

“हम एक अद्भुत दुनिया में रहते हैं जो सौंदर्य, आकर्षण और रोमांच से भरी हुई है। यदि हम खुली आँखों से खोजे तो यहाँ रोमांच का कोई अंत नहीं है”

“सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें”

“जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अच्छी सहायक हैं”

“जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है। आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है”

Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय और मेरा विचार (Jawaharlal Nehru Biography In Hindi And My Thought)

मेरा विचार जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय के लिए बिलकुल सकरात्मक है। अमीर परिवार से सम्बन्द होने के बावजूद अपने शानदार जीवन से बाहर निकल कर अंग्रेजों से संघर्ष करने का विकल्प चुनना एक साहसिक कदम था। उन्होंने आंदोलन का निर्माण और दिशा को काफी मजबूत किया। किसानों से लेकर, कांग्रेस के शक्तिशाली नेताओं के साथ, उन्होंने सभी के साथ बातचीत की और स्वतंत्रता आंदोलन की संरचना की।

हालांकि, आजकल लोग उन्हें एक स्वार्थी आदमी कहते हैं, क्योंकि उन्होंने भारत को विभाजित किया, सिर्फ पीएम बनने के लिए, क्योंकि वह जिन्ना के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। लेकिन यह तर्क बिलकुल झूठ है। उन्होंने अपने जीवन मे कुछ गलतियाँ कीं, लेकिन वे एक आदर्श समाज बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा थे। वह एक उचित आदर्शवादी थे और पाखंड में संलग्न नहीं थे, जैसा कि उनकी विदेश नीति के विचारों और पंचशील में देखा गया था।

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