नमस्ते दोस्तों आज मे आपको मुंबई के सबसे बड़े डॉन के बारे मे बताऊँगा और इस पर फिल्म भी बन चुकी है तो चलिए शुरू करते है manya surve biography in hindi
मन्या सूर्वे परिचय (manya surve biography in hindi)
मन्या सूर्वे का जन्म रत्नागिरी में 8 अगस्त 1944 के दिन हुआ था। मन्या सूर्वे का असली नाम अर्जुन सूर्वे था लेकिन उसकी गैंग वाले लोग अर्जुन को मन्या बुलाते थे इसलिए पुलिस ने भी रिपोर्ट में मन्या सूर्वे नाम दर्ज किया। मन्या सूर्वे का जन्म मुंबई में नहीं हुआ था लेकिन वो मुंबई में ही बड़ा हुआ था और पढाई भी मुंबई से की थी।
मन्या ने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से (बी.ए) में 78% से ग्रेजुएशन की पढाई खतम कर ली। जब मन्या अपराध की दुनिया मे आ रहा था तो वो अपने साथ पढने वाले कुछ दोस्तों को साथ लाया था और उनको भी गैंग में शामिल कर लिया गया। मन्या सूर्वे को अपराध वाली दुनिया मे उसका सौतेले भाई भार्गव दादा ले आया था। भार्गव दादा की उस समय दादर इलाके में बहुत दहशत थी। मन्या और उसका दोस्त पौधाकर, भार्गव दादा के साथ 1967 में दांदेकर नामक व्यक्ती का मर्डर कर दिया।
मर्डर के जुर्म में तीनों को पुलिस ने पकड़ लिया फिर उनपर मुकदमा चला और वह दोषी साबित हुए। इस जुर्म के लिए इन तीनों को आजीवन कारावास की सजा हुई। लेकिन उनको मुंबई की जैल में नहीं ब्लकि पुणे में स्थित यरवदा जैल में उनको डाल दिया गया। आजीवन कारावास की सजा से मन्या सूर्वे सुधरा नहीं ब्लकि और भी खूंखार और जंगली हो गया था।
यरवदा जैल में उसने आतंक मचा रखा था। वह अपने प्रतिद्वंद्वी डॉन सुहास भटकर के लड़कों को जैल में मारता और पीटता था। मन्या की हरकतों की वजह से जैल प्रशासन भी परेशान थी इसलिए मन्या को रत्नागिरी की जैल में भेज दिया था। हताश होकर मन्या ने रत्नागिरी की जैल में भूख हडताल कर ली। हडताल के दोरान मन्या सूर्वे एक विदेशी चर्चित किताब पढ रहा था। जिसमें लूट करने की नई ट्रिक लिखी थी।
बच के निकला मन्या सूर्वे
जब कुछ कारण वश मन्या को अस्पताल ले गए थे। तब 14 नवंबर 1979 को मन्या पुलिस को चकमा देकर अस्पताल से फरार हो गया। अस्पताल में भागने के बाद वो मुंबई चला गया और फिर से अपनी गैंग शुरू कर दी उसमें कई गैंगस्टर और उस समय के बदमाश चोरों को भी अपनी गैंग का मेंबर बना दिया।
इसके बाद मन्या सूर्वे अपनी गैंग के साथ मिलकर बहुत से गुनाह किए जेसे चोरी-डकैती मारपीट गुंडागर्दी करता रहा। जिससे पूरे मुंबई में मन्या की चारो तरफ दहशत थी और पुलिस की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए गए। पुलिस के कार्य पर उंगली उठने लगी।मन्या सूर्वे से परेशान होकर पुलिस ने मन्या को पकडने के लिए खोजबीन करना शुरू कर दिया। खोजबीन के दोरान पुलिस को एक के बाद एक मन्या के साथियों को पकड़ के गिरफ्तार कर लिया।
बहुत मेहनत के बाद आखिरकार पुलिस को खोजबीन के दौरान मन्या सूर्वे 11 जनवरी 1982 के दिन वडाला में स्थित आंबेडकर कॉलेज के पास वाले ब्यूटी पार्लर में अपनी गर्लफ्रेंड को लेने आया था तब पुलिस के हाथों चड गया।
मन्या सूर्वे का एनकाउंटर
जब मन्या सूर्वे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ पकडा गया तब मुंबई पुलिस की इशान बागवन की टीम ने मन्या सूर्वे का एनकाउंटर कर दिया। पुलिस कर्मियों के सूत्रों के मुताबिक पुलिस को मन्या की गर्लफ्रेंड विधा जोशी के कारण ही पुलिस को मन्या सूर्वे मिल पाया है।
मन्या सूर्वे की मौत की खबर से कई लोग खुस थे और कहा जाता है कि यह मुंबई का पहला एनकाउंटर था। उस वक़्त मन्या सूर्वे दाऊद अब्राहीम से भी बहुत पावर वाला था। लेकिन एनकाउंटर के बाद दाऊद को ताकात मिल गई।
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काफी सरल लेखन पढ़ने मिला आज बहुत ही सरल और सजग लेखन है